Friday, May 31, 2013

अब वर्षा हो

सब सूखा है 
सब सूना है 

सब रूखा है 
दु:ख दूना है 


अब मेघ उमड़ें 
अब वर्षा हो 

सब प्यासे हैं 
जल छूना है 

Saturday, May 25, 2013

छोटू से पौधे से...

बड़े अरमान से बीजा था 
मेहनत से उसे पोसा 
भरे थे रंग 
लम्हा-लम्हा कर के 
एक-इक रग 
चुन के बांधी थी 
कि हम दो पत्तियों को 
मिल के
इक-दो और 
बुननी थीं
नयी इक नींव 
रखनी थी 
नये वासिक शजर की 
हाँ  
वो इक पौधा था 
इक छोटू से पौधे से 
मेरे होने का 
रिश्ता था 
फ़कत रिश्ता 
नहीं था जो  
मिरे होने का 
बाइस था 


नज़र किसकी लगी 
के रंग बिखरे
हाथ छूटे 
हाफ़िज़ा-ए-लम्स भी 
बिसरा 
किसी इल्ली के 
खाये पत्तों सा 
उधड़ा 
पड़ा है आज 
कैसे 
रग-ब-रग 
खुलकर! 

Friday, May 10, 2013

I was there!!


Orange Bignonia or Flaming Trumpet

These flowers were clicked in a place, 
which became most special for me exactly four years ago.

Wednesday, May 1, 2013

A thought on labor's day

Saw this lady worker few days back 
on a construction sight.
Interpretation and inference - 
leaving to your inclination...