Saturday, July 18, 2015

शहर-ए-सैन फ्रांसिस्को

बड़ा है शहर और फिर भी 
बड़ा खाली शहर है ये 
बहुत से लोग हैं लेकिन 
सभी बिलकुल अकेले हैं 
बहुत से शगल हैं 
और बहुत से 
बहुरूपिये बाहर 
बड़ी बेहूदा बातों से भरी 
इक भीड़ है बेदम 
बहुत है हवस इसको देखने की 
सारी दुनिया को 
मगर बेहद लगा हमको अजीब 
ये शहर-ए-सैन फ्रांसिस्को!

Sunday, July 12, 2015

धरी कोकिलन मौन

तुलसी पावस के समय धरी कोकिलन मौन । 
अब तो दादुर बोलिहं हमें पूछिह कौन ॥


Monday, July 6, 2015

बरस जाओ

बस अब आ ही गयी हो तुम 
बस अब आ ही गया है पल 
तुम्हारे आने का 
यही कह कर मैं बरसों से 
सम्हाले हूँ खुदाई को 
खुदा को 
और खुद को 
ज़रा आओ 
बरस जाओ 
खुदी पर मेरी 
तुम जानाँ 
वगरना 
खुद से तुम आखिर 
नज़र कैसे मिलाओगी!