Wednesday, August 31, 2011

Jaipur - 1 Road, 2 Scenes, 3 Years ago

 
  श्वानों को मिलता दूध-वस्त्र, भूखे बालक अकुलाते हैं
मां की हड्डी से चिपक, ठिठुर जाड़े की रात बिताते हैं
युवती के लज्जा-वसन बेच जब ब्याज चुकाये जाते हैं
मालिक जब तेल-फुलेलों पर पानी-सा द्रव्य बहाते हैं
पापी महलों का अहंकार तब देता मुझको आमंत्रण,
 

Friday, August 26, 2011

Monday, August 22, 2011

शुभ जन्माष्टमी

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् ।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे

Wednesday, August 10, 2011

मकाम-ए-सुकूँ

खैर दोज़ख में मय मिले ना मिले
शैख साहिब से जाँ तो छूटेगी


Sunday, August 7, 2011

another Friendship Day.... कुछ दोस्तों से वैसे मरासिम नहीं रहे

...I have changed my name so often,
I've lost my wife and children
but I have many friends,
and some of them are with me.

There were three of us this morning
I'm the only one this evening
but I must go on;
the frontiers are my prison.

Oh, the wind, the wind is blowing,
through the graves the wind is blowing,
freedom soon will come;
then we'll come from the shadows.