Saturday, November 9, 2024

बाँधो न नाव इस ठाँव, बंधु!

बाँधो न नाव इस ठाँव, बंधु! 

पूछेगा सारा गाँव, बंधु! 


यह घाट वही जिस पर हँसकर, 

वह कभी नहाती थी धँसकर, 

आँखें रह जाती थीं फँसकर, 

कँपते थे दोनों पाँव, बंधु! 

Monday, October 21, 2024

बचपन के खिलौने सा...

बचपन के खिलौने सा कहीं छुपा लूँ तुम्हें
आँसू बहाऊँ, पाँव पटकूँ और पा लूँ तुम्हें  


 

Thursday, July 11, 2024

Thursday, June 27, 2024

जटायोः शौर्यम्

वृद्धोऽहं त्वं युवा धन्वी सरथः कवची शरी। 
न चाप्यादाय कुशली वैदेहीं मे गमिष्यसि।। 


 

Tuesday, June 18, 2024

राजा तोते

बाड़े - बाड़ी 
महल - दुमहले 
बड़ी समाधि 
छोटी छतरी 
तोपें दुर्ग 
किले मीनारें 
जिनके कारन 
सेना भिड़ गयीं
राजा लड़ गए 
रानी जल गयीं 
वक्त के साथ ही 
साफ़ हुए सब 
खानदान भी 
ख़ाक हुए सब 
चढ़ते सूरज के ढलने पर 
शाम के साथ ही 
लॉक हुए सब।  
अब इन सबकी   
सेना तोते 
परजा तोते 
वक्त के अंतिम 
राजा तोते ! 


 

Wednesday, June 12, 2024

चिड़ियों सा प्रेम

मेरा प्रेम 

दूर गगन में 

उड़ती चिड़ियों सा 

होता है।   


किसी रीत को माने बिन वो, 

सभी लीक का बंधन तोड़े, 

उड़ता तेरी ओर  सदा ही

तेरी छाया में सुस्ताने 

तेरी आँखों का जल पीने 

तेरे वक्षस्थल में कुछ 

दाने चुग लेगा, 

लेकिन तेरे बंधन से भी 

बंधना चाहे नहीं जो ऐसा 

मेरा प्रेम 

दूर गगन में 

उड़ती चिड़ियों सा 

होता है।


Friday, April 26, 2024

गौरैया, तुम्हारा नाम क्या था

Few days back, I went to a place to teach some sessions. 
Their guest house had these sparrow-huts. 
Sparrows were nesting and chirping all over the place.
Best thing I saw in a long while!


 

Thursday, April 11, 2024

All my cameras

When I went home this time, I found a basket in the storeroom with all my old cameras. Turns out they were still working. Some old pictures were also stored in those memory cards. I extracted everything. I searched every one of them. I scanned every single picture. For a trace of you! You were not there. You were not there in my past. Finally, all your traces from my past are gone. Some memories remain. Don't worry. Time will erase those too. 

 

Wednesday, April 3, 2024

गए दिनों की धूप जो कच्चे पापड़ छत पर सूख रहे थे


ये लाइन है मेरी एक नज़्म की पहली लाइन। जिसको पढ़ कर मम्मी - पापा रो दिए थे। 

पूरी नज़्म सुनोगी, मेरी आवाज़ में ? अब कैसे सुनोगी, जब सारे पुल ही जला दिए तुमने? 

खैर, कभी दिल भटक जाए तो मैं तुमको पुल के उसी वीरान किनारे पर मिलूंगा, जहाँ सब कुछ जल चुका है।।

Wednesday, February 28, 2024

Wednesday, February 14, 2024

सपना तुमको पाने का

मेरे स्वप्न में हम, 
हम यानी मैं और तुम, 
बैठे हैं इस झील किनारे 
और हाथों में हाथ तो है पर 
होठों पर कोई बात नहीं।  

मेरी सच्चाई में हम, 
हम यानी मैं निपट अकेला, 
उसी उदासी कमरे में 
बैठे हैं ऐसे जैसे बस 
अभी गयी हो तुम उठ कर 
और फिर से वापस आ जाओगी।  

और जब आओगी तुम तो हम 
तुमसे कुछ भी नहीं कहेंगे
बस हाथों में हाथ लिए हम 
उसी झील तक जायेंगे फिर 
बैठेंगे और फिर से सपना 
तुमको पाने का देखेंगे।


 

Monday, February 5, 2024

फल्गु

फाल्गुनी नदी या फल्गु
विष्णु और गयासुर की साक्षी
सीता से श्रापित
बुद्ध के ज्ञान-प्राप्ति का स्थान 
और अब..... 
 

Monday, January 29, 2024

Idhi Kala Kadha? Thirigila Eduta Padaga?!

The place where we met for the first time, oh my dearest bird, is gone forever now! 

And all the rest of the places too!


Monday, January 22, 2024

मेरे राम आएँगे


A model of Shri Ram Janm Bhoomi Mandir in my office. 
Hoping to see the real Mandir soon.
जय श्री राम 


 

Friday, January 12, 2024

मुक्ति

विष्णुपद मंदिर, जहाँ भगवान् विष्णु ने गयासुर को पद-पराजित किया। 

जहाँ लोग पिंड-दान हैं अपने पितरों की मुक्ति के लिए। 

 क्या ऐसा हो सकता है कि अतृप्त पितरों को मुक्ति देने की तरह ही अतृप्त प्रेम का भी श्राद्ध किया जा सके ? 

अधूरे प्रेम से मुक्ति का संभवत: ये अंतिम उपाय बचा है।