Friday, June 26, 2009

पुल

तेरे घर पहुँच तो जाता
रस्ते में दरिया पड़ते हैं
पुल तो तूने सब जला ही दिये थे!

Monday, June 22, 2009

बिल्ली के बच्चे

किताबों मे बिल्ली ने बच्चे दिये हैं
ये बच्चे बड़े हो के अफ़सर बनेंगे


दरोगा बनेंगे किसी गाँव के ये
किसी शहर के ये कलक्टर बनेंगे


खिलाऊँगा इनको मैं दूध और मलाई
मेरे भाग्य के ये रजिस्टर बनेंगे


किताबों मे बिल्ली ने बच्चे दिये हैं
ये बच्चे बड़े हो के अफ़सर बनेंगे

Thursday, June 18, 2009

कुत्ते

बकलम फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ये गलियों के आवारा बेकार कुत्ते
कि
बख्शा गया जिनको ज़ौक--गदाई
ज़माने
की फ़िटकार सरमाया उनका
जहाँ
भर कि दुत्कार इन की कमाई ना आराम शब को, ना राहत सवेरे
गलाज़त
में घर, नालियों में बसेरे
जो
बिगड़ें तो इक-दूसरे से लड़ा दो
ज़रा
एक रोटी का टुकड़ा दिखा दो
ये
हर एक की ठोकरें खाने वाले

ये फ़ाकों से उकता के मर जाने वाले
ये मज़लूम मख्लूक गर सर उठायें
तो
इन्सान सब सरकशी भूल जायें
ये
चाहें तो दुनिया को अपना बना लें
ये
आकाओं की हड्डियाँ तक चबा लें
कोई
इनको एहसास--ज़िल्लत दिला दे
कोई
इनकी सोई हुई दुम हिला दे।

Tuesday, June 9, 2009

चाहे काट डालो राजा ;)

चाहे मार डालो राजा, चाहे काट डालो राजा
हम तो यारी करेंगे, दिलदारी करेंगे...