Friday, December 6, 2013

एक अधूरे काम की बरसी

एक अधूरा काम 
कि जिसको जल्दी पूरा करना है 

Thursday, November 7, 2013

Wednesday, October 16, 2013

On this World Food Day...

Ask not what you can do for your country. Ask what’s for lunch.
- Orson Welles


Saturday, October 12, 2013

The Civilization that lost


If I were asked under what sky the human mind has most fully developed some of its choicest gifts, has most deeply pondered on the greatest problems of life, and has found solutions, I should point to India.

Max Mueller 
(German scholar)

Wednesday, October 9, 2013

The "Crack"pots


“Let China sleep, for when she awakes, she will shake the world.” 
Napoleon Bonaparte 

Sunday, October 6, 2013

The Papa of the Mummy


They say the pharaohs built the pyramids. Do you think one pharaoh dropped one bead of sweat? 
We built the pyramids for the pharaohs and we're building for them yet.
Anna Louise Strong
(20th-century American journalist and activist)

Thursday, October 3, 2013

They're all Greek to me!


“Experts in ancient Greek culture say that people back then didn't see their thoughts as belonging to them. When ancient Greeks had a thought, it occurred to them as a god or goddess giving an order. Apollo was telling them to be brave. Athena was telling them to fall in love.

Now people hear a commercial for sour cream potato chips and rush out to buy, but now they call this free will.
At least the ancient Greeks were being honest.”

 Chuck Palahniuk 
(American freelance Journalist, Satirist and Novelist)

Monday, September 16, 2013

Each to his passion

Bee to the blossom
Moth to the flame
Each to his passion
What's in a name!

Helen Hunt Jackson 

Thursday, September 12, 2013

तुम्हारी आस में

तुम्हारी मेज़ पर छोटा सा उल्लू बैठा था 
तुम्हारी आस में अब वोह नहीं रहा जानम 


Sunday, September 8, 2013

थमी है ज़िन्दगी की गाड़ी यूँ

कुछ कहीं टूट गया है शायद
कुछ कहीं छूट गया है शायद 
कोई तदबीर तो हो 
बात कुछ पता तो चले 
थमी है ज़िन्दगी की गाड़ी यूँ 
कोई कुछ रूठ गया है शायद  


Tuesday, September 3, 2013

फ़रिश्तों अब तो सोने दो


शबे-फ़ुरकत का जागा हूँ 
फ़रिश्तों अब तो सोने दो 
कभी फ़ुरसत में कर लेना 
हिसाब, आहिस्ता-आहिस्ता


Tuesday, August 20, 2013

बबूल में आ जाते हैं नए-नए कांटे


आना
जब समय मिले
जब समय न मिले
तब भी आना


आना जैसे बारिश के बाद
बबूल में आ जाते हैं
नए-नए कांटे


दिनों को
चीरते-फाड़ते
और वादों की धज्जियां उड़ाते हुए
आना


आना जैसे मंगल के बाद
चला आता है बुध
आना

Sunday, August 4, 2013

For some special friends...


दुश्मनों की तरह उस से लड़ते रहे

अपनी चाहत भी कितनी निराली रही

Monday, July 29, 2013

सतपुड़ा के घने जंगल

सतपुड़ा के घने जंगल।
नींद मे डूबे हुए से
ऊँघते अनमने जंगल।
झाड ऊँचे और नीचे,
चुप खड़े हैं आँख मीचे,
घास चुप है, कास चुप है
मूक शाल, पलाश चुप है।
बन सके तो धँसो इनमें,
धँस न पाती हवा जिनमें,
सतपुड़ा के घने जंगल
ऊँघते अनमने जंगल।  


अटपटी-उलझी लताऐं,
डालियों को खींच खाऐं,
पैर को पकड़ें अचानक,
प्राण को कस लें कपाऐं।
सांप सी काली लताऐं
बला की पाली लताऐं
लताओं के बने जंगल
नींद मे डूबे हुए से
ऊँघते अनमने जंगल।


मकड़ियों के जाल मुँह पर, 
और सर के बाल मुँह पर 
मच्छरों के दंश वाले, 
दाग काले-लाल मुँह पर, 
वात- झन्झा वहन करते, 
चलो इतना सहन करते, 
कष्ट से ये सने जंगल, 
अजगरों से भरे जंगल।
अगम, गति से परे जंगल
सात-सात पहाड़ वाले,
बड़े छोटे झाड़ वाले,
शेर वाले बाघ वाले,
गरज और दहाड़ वाले,
कम्प से कनकने जंगल,
नींद मे डूबे हुए से 
ऊँघते अनमने जंगल


इन वनों के खूब भीतर, 
चार मुर्गे, चार तीतर 
पाल कर निश्चिन्त बैठे, 
विजनवन के बीच बैठे, 
झोंपडी पर फ़ूंस डाले 
गोंड तगड़े और काले। 
जब कि होली पास आती, 
सरसराती घास गाती, 
और महुए से लपकती, 
मत्त करती बास आती, 
गूंज उठते ढोल इनके, 
गीत इनके, बोल इनके

(सतपुड़ा के घने जंगल 
नींद मे डूबे हुए से 
ऊँघते अनमने जंगल )


जागते अँगड़ाइयों में,
खोह-खड्डों खाइयों में,
घास पागल, कास पागल,
शाल और पलाश पागल,
लता पागल, वात पागल,
डाल पागल, पात पागल
मत्त मुर्गे और तीतर,
इन वनों के खूब भीतर।
क्षितिज तक फ़ैला हुआ सा,
मृत्यु तक मैला हुआ सा,
क्षुब्ध, काली लहर वाला
मथित, उत्थित जहर वाला,
मेरु वाला, शेष वाला
शम्भु और सुरेश वाला
एक सागर जानते हो,
उसे कैसा मानते हो?
ठीक वैसे घने जंगल,
नींद मे डूबे हुए से 
ऊँघते अनमने जंगल 


धँसो इनमें डर नहीं है, 
मौत का यह घर नहीं है, 
उतर कर बहते अनेकों, 
कल-कथा कहते अनेकों, 
नदी, निर्झर और नाले, 
इन वनों ने गोद पाले। 
लाख पंछी सौ हिरन-दल, 
चाँद के कितने किरन दल, 
झूमते बन-फ़ूल, फ़लियाँ, 
खिल रहीं अज्ञात कलियाँ, 
हरित दूर्वा, रक्त किसलय, 
पूत, पावन, पूर्ण रसमय 
सतपुड़ा के घने जंगल, 
लताओं के बने जंगल।

- भवानी प्रसाद मिश्र

Tuesday, July 16, 2013

India!!


If you don't get this idiocy of putting up a picture of a beehive and entitling the post "India", READ THIS and shoot yourself, for despite all your intelligence, you are wasting your time on this blog and this chump is dreaming of ruling the... well, "The Beehive". 

Monday, July 1, 2013

It's school-time again!!

Take out your books and school-bags,
umbrellas and raincoats, 
and pray for a rainy-day before school!! 


Tuesday, June 25, 2013

30 years to that victory at The Lords

which made cricket a household passion...
and scenes like above a common sight pan-India!
India's first title victory in 
The One-Day Cricket World Cup: 
June 25, 1983.

Thursday, June 20, 2013

The delights of that chirp

On my recent trip to Mussoorie, I clicked 14 bird species that were not in my records so far.  Sharing two of those - the cutest, smallest, and chirpiest ones! For a better look, click on the picture and view full screen. 

 Oriental White-Eye
Whiskered Yuhina