Monday, February 24, 2020

Life अगड़म बगड़म

कहाँ क्या हो रहा है, कहाँ किस का सिरा है, 
कुछ समझ नहीं आता, सब जहान सिरफिरा है 




Friday, February 14, 2020

Life and love in most unlikely places


ट्रक का दार्शनिक कहता है -

मेरा सो जावे नहीं
जावे सो मेरा नहीं। 

और मेरा दार्शनिक कहता है,
उसका क्या
जो मेरा था
और चला भी गया
और तब भी
मेरा ही रहा।
रहा ना ? 

Sunday, February 9, 2020

बीत गया सब कुछ


कितनी सुबहें बीतीं हैं
उस बालकनी में
कितनी यादें उस गलियारे
से निकली हैं
कितने लम्हे इसी सड़क पर
बुने गए थे
कितने शख्स गए आये
और बीत गए हैं

जिस दर पर थे 
पाँच बरस के किस्से बाँचे 
उनको गुज़रे भी अब 
शायद बरस अट्ठारह बीत गए हैं।  

Tuesday, February 4, 2020

वसन्त बड़ा निर्मम समय है


वसन्त बड़ा निर्मम समय है।
इस समय में सब कुछ है 
और कुछ भी नहीं।  
ऐसा कब होगा जब 
इस सूर्यमुखी से खिले हुए 
तुम भी हो यहाँ ?
तुम्हारे बिना 

वसन्त बड़ा निर्मम समय है।