Saturday, December 31, 2022

रफ़्ता - रफ़्ता सब कुछ बदला

रफ़्ता - रफ़्ता ख़तम हुआ सब

ज़र्रा - ज़र्रा वो आशियाना जला 


Waise nazm to lambi thee thodi, lekin sab kuch na kahne ki aadat... khair! 


Saturday, December 24, 2022

एक तितली दर पे ऑफिस के मेरे

एक तितली 

दर पे ऑफिस के मेरे

रोकती है मुझको

दूर जाने से 


 

Tuesday, November 8, 2022

Ralamandal Trek, Again!

Went to Ralamandal again this past Sunday. 
Missed a lot of things - the bus ride, the walk, the rest, the pics... and the company!
The difference - Instead of the concrete road, took the jungle route for trekking this time.


 

Thursday, October 13, 2022

Saturday, August 20, 2022

Who knows...

As you'd know, I destroyed all my diaries a few days ago. In those diaries, I found two old cuttings also. While both spoke my mind in that era when I cut and kept those, I can't say I have seen any different days since. Anyway, here is the first one of those two cuttings. 


 

Thursday, August 11, 2022

तुम्हारे बाद का मौसम

तुम्हारे साथ ये मौसम फरिश्तों जैसा है, 
तुम्हारे बाद ये  मौसम बहुत सताएगा !

बशीर बद्र ने ये शेर लिखा था अपनी किताब "उजाले अपनी यादों के" की एक ग़ज़ल में। शेर इतना प्रसिद्द नहीं था, लेकिन आज याद आया क्योंकि :
तुम्हारे साथ ये मौसम फरिश्तों जैसा था 
तुम्हारे बाद ये मौसम बहुत सताता है !


 

Saturday, August 6, 2022

Solitude vivifies. Loneliness kills.

It's been so long since I have been wishing, thinking, planning to runaway to a place like this - with a waterbody, hills, vast expanse sans folks... if only I had the right folks to runaway with!  


Friday, July 15, 2022

Little Grebe

Went bird-watching after a long while and got lucky with 3-4 species. This little fisher was the most elusive though! 




 

Friday, July 1, 2022

किस्मत जो बिगाड़ी तूने, मैं शेर बिगाड़ूँगा

आजकल लिखा तो कुछ नहीं जाता, कैमरा भी नहीं उठता। 

लेकिन कभी-कभार कुछ यादों के अंगारे जब हाथ जला देते हैं तो किसी और का कलाम बिगाड़ ज़रूर देते हैं हम। 

ऐसा हुआ दो बार पिछले दो दिनों में,  तो सोचा अकेले क्यों सहें। 

हम इस दुनिया से हैं नाराज़ इतने,

यहाँ कारे-मसीहा क्यों करें हम ! 

अब नीचे लिखी बिगाड़ पढ़ो और असली कलाम ढूंढ कर बताओ तो जानें !

 

मेरी किताब को पढ़ते - पढ़ते 

तुमने शायद सोच के मुझको 

छोटा सा इक फूल बनाया था।  

आ कर देखो, उस पर इक 

तितली बैठी है।  



कॉफ़ी फिर कॉफ़ी है 
मैं ज़हर भी पी जाऊं ऐ दोस्त, 
शर्त ये है कोई 
बातों में लगा ले मुझको। 

Monday, May 9, 2022

Portraits of a tired man

It seems I've crossed a Rubicon. I am at a point in my life, where I don't feel like telling any more stories. 
Don't you think that I'm out of stories. Not only the old ones are not fully told to anyone yet, the new ones are still piling. But...
It seems I've crossed a Rubicon. I am at a point in my life, where I don't feel like telling any more stories. 
It's not the stories that are tired. It's me, who has grown tired, old, bitter, and lonelier than ever before. Perhaps it's time for a final set of pictures, nay, portraits to hang, to garland, to forget.... and to end it all.


P.S. - the sketch and the painting and the keyring were gifted to me by some special friends, students, well-wishers. Don't judge it adversely though, for the portraits are well-made. It's the face that's twisted.

Tuesday, May 3, 2022

Blast from the last millennia

 Sometimes you think that you want to disappear but all you really want is to be found.

Friday, April 29, 2022

आस जो टूट गयी

फिर से बँधाता क्यूँ है 


बेनाम सा ये दर्द ठहर क्यों नहीं जाता
जो बीत गया है वो गुज़र क्यों नहीं जाता

सबकुछ तो है क्या ढूंढती रहती हैं निगाहें
क्या बात है मैं वक़्त पे घर क्यों नहीं जाता

वो एक ही चेहरा तो नहीं सारे जहाँ में
जो दूर है वो दिल से उतर क्यों नहीं जाता

Wednesday, April 6, 2022

पुराना खिलौना

इक खिलौना टूटा फिर तो इक नया मिल जाएगा
मैं नहीं तो कोई तुझको दूसरा मिल जाएगा


 

Tuesday, March 1, 2022

पार करना है गहन यह अन्धकार...

इस पार प्रिये तुम हो मधु है 
उस पार न जाने क्या होगा 

 

Wednesday, February 23, 2022

बेचैनी

नक्शा उठा के कोई नया शहर खोजिये 
इस शहर में तो सबसे मुलाक़ात हो गयी 
.....