तुम्हारे साथ ये मौसम फरिश्तों जैसा है,
तुम्हारे बाद ये मौसम बहुत सताएगा !
बशीर बद्र ने ये शेर लिखा था अपनी किताब "उजाले अपनी यादों के" की एक ग़ज़ल में। शेर इतना प्रसिद्द नहीं था, लेकिन आज याद आया क्योंकि :
तुम्हारे साथ ये मौसम फरिश्तों जैसा था
तुम्हारे बाद ये मौसम बहुत सताता है !
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