मुझसे बिछड़ के खुश रहते हो
Saturday, August 30, 2008
Friday, August 29, 2008
Sunday, August 24, 2008
Wednesday, August 20, 2008
आदमी बुलबुला है पानी का!
टूटता भी है डूबता भी है
फिर उभरता है फिर से बहता है
ना समन्दर निगल सका इसको
ना तवारीख तोड़ पायी है
वक्त की मौज पे सदा बहता
आदमी बुलबुला है पानी का
फिर उभरता है फिर से बहता है
ना समन्दर निगल सका इसको
ना तवारीख तोड़ पायी है
वक्त की मौज पे सदा बहता
आदमी बुलबुला है पानी का
Friday, August 15, 2008
Saturday, August 9, 2008
Subscribe to:
Posts (Atom)