कोई हाथ भी ना मिलायेगा जो गले मिलोगे तपाक से
ये नये मिजाज़ का शहर है ज़रा फ़ासिले से मिला करो।
और ये शहर कोई एक शहर नहीं जो नये मिजाज़ में ढल गया हो। इसका कोई एक नाम नहीं। ये शहर देश और काल की सीमा से परे है। ये शहर आज का हर शहर है - ज़रा फ़ासिले से मिला करो!
2 comments:
Agar main galat nahin hun
to aapke blog pe do pics hain. Dono me kafi fark hai..
Nikhil ji, baat kuch samajh nahi aayi. Agar matlab do tasveeron me meri shakl ke bhinn hone se hai, to wo antar isliye ki dono kaafi antaral se li gayi hain.
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