Friday, December 23, 2011

Friday, November 25, 2011

Tuesday, November 15, 2011

वो जो न आने वाला है ना...

वो जो न आने वाला है ना उससे हमको मतलब था
आने वालों से क्या मतलब आते हैं आते होंगे

Monday, November 7, 2011

Tuesday, November 1, 2011

तेरे तगाफ़ुल के दिन आज, बरसों के बाद


कोई फूल सा खिला है
कोई ठूंठ रह गया है  

तेरे लम्स का सिला बस
इक ज़ख्म रह गया है

Saturday, October 22, 2011

Smelly Cat, Smelly Cat,
What are they feeding you?
Smelly Cat, Smelly Cat
It's not your fault

Wednesday, October 19, 2011

Sunday, October 16, 2011

प्रेम तुम्हारा... छोटू सा

प्रेम दर असल चिड़िया का
घोंसला है
पेड़ पर
जिसका रूप न रंग कोई
नियम विधान न मर्यादा।

प्रेम ऐसा ही कुछ
घर है तुम्हारा
मेरे मन में,
जन्म से
जात-पांत से परे
उम्र के बँधन बिना
परदेश-विदेश की सीमा क्या
नियम विधान न मर्यादा।

ऐसा ही कुछ प्रेम तुम्हारा
मेरे मन के घोंसले में
दुबका बैठा है
छोटू सा!  

Saturday, September 24, 2011

Child Line

My students called the Child Line for rescue from my courses. 
I'm glad the helpline is for 'children' only, not for 'students' ;)

Thursday, September 22, 2011

Baseball in India... where else!!


The national championship of
the national game of erstwhile free-market capitalist nation
in the last bastion of erstwhile communist state

Sunday, September 18, 2011

Rules for watching children below 10

Oh damn it!! I came here only to see a kid below 10 with your telescope. 
Ok, can I see a kid of 11 with the telescope?

P.S. - This is from a list of rules in planetarium at Ujjain, which prohibits children below 10 from seeing into the telescope. Or perhaps, they actually wanted us not to see a kid below 10 years of age with their telescope.

Thursday, September 15, 2011

दिल की दवा वाला पहलवान...

सुकून-ए-दिल इतना ही अगर आसाँ होता
ये मकाँ भी मकाँ होता न बयाबाँ होता 

Monday, September 12, 2011

Some worshipper that was...

It was funny, innocent, idiotic, and ridiculous - 
all at the same time.
But some Ganesh devotee that was to write such eulogy.

Friday, September 9, 2011

Oh such a Long Long Tale...!!!

अब आगे इसमें तुम्हारा भी नाम आयेगा
जो हुक्म हो तो यहीं रोक दूँ फ़साने को!!

Wednesday, August 31, 2011

Jaipur - 1 Road, 2 Scenes, 3 Years ago

 
  श्वानों को मिलता दूध-वस्त्र, भूखे बालक अकुलाते हैं
मां की हड्डी से चिपक, ठिठुर जाड़े की रात बिताते हैं
युवती के लज्जा-वसन बेच जब ब्याज चुकाये जाते हैं
मालिक जब तेल-फुलेलों पर पानी-सा द्रव्य बहाते हैं
पापी महलों का अहंकार तब देता मुझको आमंत्रण,
 

Friday, August 26, 2011