Say Cheese :)
Thursday, February 14, 2013
तीन मुखौटे, तीन कहानी - 2
आज के रोज़ इक मुखौटा चढ़ा
पढ़ते हैं कलमा-ए-मुहब्बत सब
और तुम्हारा हूँ मैं सदा के लिये
कह के हँसता हूँ मैं भी जोकर सा
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment