While cooling my heels for a while in Indore before the next round of travel begins, got a call to come to the city and meet three amazing individuals.
From left-to-right - Shamim Abbas, Farhat Ehsaas Sahab, Abhishek Shukla. Sharing some of their couplets here.
Update as of 2017:
No idea about the gentleman in the middle but have severed contact with the two on sides.
Reason - found them deeply communal and full of political hatred.
हमारे दर्द को जानो अज़ीयतें देखो
कोई किवाड़ नहीं फिर भी दस्तकें देखो
सुना था हमने कोई शै है मावरा-ए-ख़याल
फलांग आईं उसे मेरी वहशतें देखो
जनाब शमीम अब्बास साहब
मुहब्बत का खुदा हूँ मैं मगर ऐसा खुदा जिसने
बड़ी मुश्किल से अपना एक बन्दा घेर रखा है
जनाब फरहत एहसास साहब
चलते हुए मुझमें कहीं ठहरा हुआ तू है
रस्ता नहीं मंज़िल नहीं अच्छा हुआ तू है
इक चोट लगी थी सो हुई उम्र उसे भी
बिखरा हुआ मैं हूँ के ये टूटा हुआ तू है
भाई अभिषेक शुक्ल
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