Saturday, January 4, 2020

मुझे कुछ भी समझ आता नहीं अब


मुझे कुछ भी
समझ
आता नहीं
अब!

ये पीढ़ी
ये गाने
ये बातें
तराने
ये किस्से
फ़साने
ये रौशन
ज़माने

बड़ी दूर मालूम 
होते हैं सारे 
अजब अजनबी 
वक़्त के ये इशारे  

कई बार लगता है
सब हद्द में है
बढ़ाऊं अगर हाथ
सब जद्द में है

मगर याद पड़ता है
गुज़रा ज़माना
औ' फिर याद आता है
सब छोड़ आना

तो अपने ज़ेहन को 
मैं फिर तोलता हूँ
तजरबे पुराने
नहीं खोलता हूँ
नई उम्र को कुछ
नहीं बोलता हूँ !

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