Monday, March 15, 2021

तुम्हारे बाद ये मौसम बहुत सताएगा

 


अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जाएगा 

मगर तुम्हारी तरह कौन मुझ को चाहेगा 

तुम्हें ज़रूर कोई चाहतों से देखेगा 

मगर वो आँखें हमारी कहाँ से लाएगा 

न जाने कब तिरे दिल पर नई सी दस्तक हो 

मकान ख़ाली हुआ है तो कोई आएगा 

मैं अपनी राह में दीवार बन के बैठा हूँ 

अगर वो आया तो किस रास्ते से आएगा 

तुम्हारे साथ ये मौसम फ़रिश्तों जैसा है 

तुम्हारे बाद ये मौसम बहुत सताएगा

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