Monday, October 19, 2015

The last post

क्लोज़िंग दिस ब्लॉग इंडेफिनिटेली। 
डोन्ट नो इफ आई विल पोस्ट अगेन और नॉट. 
बट अ लौंग ब्रेक फॉर श्योर. 

One of us had to die. 
One of us had to live.
For now, the blog dies.
I will follow soon.


Tuesday, October 6, 2015

गुलाबी

गुलाबी ठण्ड का मौसम
गुलाबी आम का मौसम 
करेगा और भी रंगीं
गुलाबी जाम का मौसम

Friday, September 25, 2015

फटी भीत है छत चूती है...

घुन खाये शहतीरों पर की बारहखड़ी विधाता बाँचे 
फटी भीत है छत चूती है आले पर बिस्तुईया नाचे
बरसा कर बेबस बच्चों पर मिनट मिनट में पाँच तमाचे
इसी तरह से दुखरन मास्टर गढ़ता है आदम के साँचे।
- बाबा नागार्जुन



Saturday, September 19, 2015

छपाक!!


डूब जाएगा ब्लॉग धीरे से...

महीना एक और फिर 
बात एक भी नहीं!

गूंजता रह जाएगा 
छपाक!!
और उसके बाद का 
सिर्फ
एक सन्नाटा।  

It's been seven and a half years since I started this photoblog. 
I never thought that it would last this long. 
However, I think it is far too long now.
In exactly one month from today, 
on a particularly special day,
I will post the last post of this blog.
As of now, I think it will be a final full-stop.
However, it may just be a long break.
You see, sometimes, I require long breaks
from any thing - 
be it relationships, activities, or blogs.

Saturday, September 5, 2015

Sunday, August 30, 2015

कोई रास्ता नहीं

सीढ़ियाँ तो बहुत हैं लेकिन अब
कोई रस्ता नहीं है उस दर का 

Monday, August 24, 2015

भूनती है कभी

भूनती है कभी ये भुट्टे सी 
उछालती है कभी गुट्टे सी 
ज़िन्दगी ने हमारी हालत की 
दग चुके एक देसी कट्टे सी 



Sunday, August 2, 2015

Oriental White Eye

लाल और हरे में
छिपी पीली पुड़िया 
काग़ज़ के फूलों में 
छोटी सी चिड़िया 

Saturday, July 18, 2015

शहर-ए-सैन फ्रांसिस्को

बड़ा है शहर और फिर भी 
बड़ा खाली शहर है ये 
बहुत से लोग हैं लेकिन 
सभी बिलकुल अकेले हैं 
बहुत से शगल हैं 
और बहुत से 
बहुरूपिये बाहर 
बड़ी बेहूदा बातों से भरी 
इक भीड़ है बेदम 
बहुत है हवस इसको देखने की 
सारी दुनिया को 
मगर बेहद लगा हमको अजीब 
ये शहर-ए-सैन फ्रांसिस्को!

Sunday, July 12, 2015

धरी कोकिलन मौन

तुलसी पावस के समय धरी कोकिलन मौन । 
अब तो दादुर बोलिहं हमें पूछिह कौन ॥


Monday, July 6, 2015

बरस जाओ

बस अब आ ही गयी हो तुम 
बस अब आ ही गया है पल 
तुम्हारे आने का 
यही कह कर मैं बरसों से 
सम्हाले हूँ खुदाई को 
खुदा को 
और खुद को 
ज़रा आओ 
बरस जाओ 
खुदी पर मेरी 
तुम जानाँ 
वगरना 
खुद से तुम आखिर 
नज़र कैसे मिलाओगी!


Tuesday, June 30, 2015

चूहे पर न लिखी गयी कविता

चूहे पर
नहीं
लिखी गयी
कोई कविता।

किसी भी कवि को,
किसी व्यक्ति को,
आया नहीं ख़याल -
छोटे से चूहे के
छोटे से
दिल का हाल
सोचा
न जाना
कोई बड़ा कवि।  

चूहे से
कवि में
जागी
बस
वितृष्णा

चूहे को देखा
तो सोचा
ये सबने
चूहे पर कैसे
लिखे
कोई कविता। 

Thursday, June 25, 2015

Emergency - 40 years

40th Anniversary of the day when 
Indira Gandhi killed democracy, constitution, and traditions of India 
for her brutal powerlust.


Friday, June 19, 2015

किधर जाऊँ

किधर जाऊँ समझ तुम बिन
मुझे आता नहीं जानां 
कि हर रस्ता मुझे तुम बिन
बड़ा बेकार लगता है 

Monday, June 15, 2015

निम्बूड़ा


All the quotes about lemons are about life giving lemons. 
For once, why people can't think of how would lemons feel,
if all they are handed is people and there is no "peoplade" to make?


Wednesday, June 10, 2015

इतनी पी है कि...

तर्क-ए-मय  ही समझ इसे नासेह 
इतनी पी है कि पी नहीं जाती। 

Friday, June 5, 2015

उम्मीद-ए-सहर

 मैं किसी हाल में मायूस हो नहीं सकता 
ज़ुल्मतें लाख हो उम्मीद-ए-सहर रखता हूँ


Friday, May 29, 2015

बन्दा

 समझेगा वहाँ आदमी को कौन आदमी 
बन्दा जहाँ ख़ुदा को ख़ुदा मानता नहीं 

Sunday, May 24, 2015

परिंदा उड़ नहीं पाता...

अब जो रिश्तों में बंधा हूँ तो खुला राज़ ये मुझ पर,
कब परिंदे उड़ नहीं पाते हैं परों के होते।


Tuesday, May 19, 2015

बहुत मैं पछताया

 पुख़्ता होते ही मर गयीं चीज़ें
बात कच्ची थी बात अच्छी थी 
घर बना कर बहुत मैं पछताया 
इससे खाली ज़मीन अच्छी थी 

  

Sunday, May 10, 2015

फिर

फिर ये दिन इक शोला बनकर 
बरस गया यादों की रग पर 

Thursday, April 30, 2015

Nature always wins

Emblem outside Scindia Palace, Gwalior
Now a nesting spot for garden birds.

BTW, a snake is pretty apt for Scindia emblem, for they were the one of strongest supporters of Britishers in conquering and robbing India. 

Monday, April 20, 2015

A camel is a horse designed by committee.

 Sooner will a camel pass through a needle's eye 
than a great man be 'discovered' by an election.
- Adolf Hitler

P.S. - It is Adolf Hitler's Birthday today. That is why the land is barren and camels are sad. 

Friday, April 10, 2015

मुझे जाना है इक दिन तेरी बज़्मे-नाज़ से आखिर


अभी फिर दर्द टपकेगा मेरी आवाज़ से आखिर 
अभी फिर आह उठेगी शिकस्ता साज़ से आखिर 


Friday, April 3, 2015

सुआ और टेसू

टेसू फूलन खाए सुआ 
चख चख फेंकत जाए मुआ 


Saturday, February 28, 2015

दुष्यन्त कुमार की फरवरी - 6

चढ़ाता फिर रहा हूँ जो चढ़ावे
तुम्हारे नाम पर बोले हुए हैं


Tuesday, February 24, 2015

दुष्यन्त कुमार की फरवरी - 5

कभी किश्ती, कभी बतख़, कभी जल
सियासत के कई चोले हुए हैं 


Friday, February 20, 2015

दुष्यन्त कुमार की फरवरी - 4


 मज़ारों से दुआएँ माँगते हो
अक़ीदे किस क़दर पोले हुए हैं 


Monday, February 16, 2015

दुष्यन्त कुमार की फरवरी - 3

ग़ज़ब है सच को सच कहते नहीं वो
क़ुरान - ओ - बाइबिल खोले हुए हैं 


Thursday, February 12, 2015

दुष्यन्त कुमार की फरवरी - 2

तुम्हीं कमज़ोर पड़ते जा रहे हो
तुम्हारे ख़्वाब तो शोले हुए हैं 


Sunday, February 8, 2015

दुष्यन्त कुमार की फरवरी - 1

परिन्दे अब भी पर तोले हुए हैं
हवा में सनसनी घोले हुए हैं 


Friday, February 6, 2015

दुष्यन्त कुमार की फरवरी

दुष्यन्त कुमार को जितनी बार पढ़ा जाए, कुछ नया ही भावार्थ निकलता है. 
सो अन्तरताने पे टहलते हुए एक ग़ज़ल दिखी और लगा कि हर शेर एक तस्वीर है. 

इसलिए, इस फरवरी हम इस ग़ज़ल के एक-एक शेर को एक-एक तस्वीर के साथ पढ़ेंगे 
और सोचेंगे और देखेंगे और गुनगुनाएंगे. 


परिन्दे अब भी पर तोले हुए हैं

हवा में सनसनी घोले हुए हैं 


तुम्हीं कमज़ोर पड़ते जा रहे हो
तुम्हारे ख़्वाब तो शोले हुए हैं 



ग़ज़ब है सच को सच कहते नहीं वो
क़ुरान—ओ—उपनिषद् खोले हुए हैं 



मज़ारों से दुआएँ माँगते हो
अक़ीदे किस क़दर पोले हुए हैं 



कभी किश्ती, कभी बतख़, कभी जल
सियासत के कई चोले हुए हैं 



चढ़ाता फिर रहा हूँ जो चढ़ावे
तुम्हारे नाम पर बोले हुए हैं

Friday, January 30, 2015

Gandhi - Do you know him?

During Gandhi's time as a dissident in South Africa, he discovered a male youth had been harassing two of his female followers. Gandhi responded by personally cutting the girls' hair off, to ensure the "sinner's eye" was "sterilised". Gandhi boasted of the incident in his writings, pushing the message to all Indians that women should carry responsibility for sexual attacks upon them.
Michael Connellan, "Women suffer from Gandhi's legacy


गाँधी जी ने देश को छलकर देश के टुकड़े किये।क्योंकि ऐसा न्यायालय या कानून नहीं था,जिसके आधार पर ऐसे अपराधी को दंड दिया जा सकता,इसीलिए मैंने गाँधी जी को गोली मारी। उनको दंड देने का केवल यही एक तरीका रह गया था। 
- नाथूराम गोडसे ("मैंने गाँधी का वध क्यों किया?" पुस्तक से)

Monday, January 26, 2015

तिरंगा

तिरंगा
केवल कुछ रंग नहीं 
एक भाव है
एक अभिव्यक्ति है 

Wednesday, January 21, 2015

Chandler the Amreekan gilahari

हमको लगता था कि हर गिलहरी का नाम गिल्लू ही होता होगा. 
लेकिन अमरीका में गिलहरियां भी गिल्लू नहीं होतीं. 
इसका नाम चैंडलर था.