दृग हों तो दृश्य अकाण्ड देख,
मुझमें सारा ब्रह्माण्ड देख,
चर-अचर जीव, जग, क्षर-अक्षर,
नश्वर मनुष्य सुरजाति अमर।
और केवल कुछ बड़े मन्दिर ही क्यों, जिन पर आतताइयों ने अधिकार कर लिया है।
ऐसे अगिनत मन्दिर भी हैं जो केवल खंडित - विखंडित रह गए हैं।
हे पवनपुत्र, अनुरूप शक्ति दो।
हे माँ लक्ष्मी, अनुरूप सामर्थ्य दो।
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