Tuesday, August 31, 2010

बज़्म-ए-ज़िन्दगी बकौल गालिब - 9

इब्ने-मरियम हुआ करे कोई
मेरे दुख की दवा करे कोई
इब्ने-मरियम - Jesus, The son of Mary

Saturday, August 28, 2010

बज़्म-ए-ज़िन्दगी बकौल गालिब - 8

दिल ढूँढता है फिर वोही फ़ुर्सत के रात-दिन
बैठे रहें तसव्वुरे-जानाँ किये हुए

Tuesday, August 24, 2010

बज़्म-ए-ज़िन्दगी बकौल गालिब - 7

ये फ़ितना आदमी की खानावीरानी को क्या कम है
हुए तुम दोस्त जिसके उसका दुश्मन आस्माँ क्यूँ हो
Destiny need not be an enemy to your friends,
for the mischief of your friendship is enough to ruin home of the one.

Sunday, August 22, 2010

बज़्म-ए-ज़िन्दगी बकौल गालिब - 6

मौज-ए-सराब-ए-दश्त-ए-वफ़ा का न पूछ हाल
हर ज़र्रा मिस्ल-ए-जौहर-ए-तेग़ आबदार था

मौज-ए-सराब-ए-दश्त-ए-वफ़ा ---- वफा के मरुस्थल की मरीचिका
मिस्ल-ए-जौहर-ए-तेग़ ---- तलवार की धार की तरह
आबदारचमकदार"> ---- चमकदार

Wednesday, August 18, 2010

बज़्म-ए-ज़िन्दगी बकौल गालिब - 5

चंद तस्वीरे-बुतां, चंद हसीनों के ख़ुतूत
बाद मरने के मेरे घर से ये सामां निकला

Gulzar - entering his 75th year today
Happy Birth Day Gulzar sahib :)

Sheen Kaaf Nizaam


Nand Kishore Acharya

Saturday, August 14, 2010

बज़्म-ए-ज़िन्दगी बकौल गालिब - 4

काबा किस मुँह से जाओगे 'ग़ालिब'
शर्म तुमको मगर नहीं आती

Tuesday, August 10, 2010

बज़्म-ए-ज़िन्दगी बकौल गालिब - 3

कलकत्ते का जो ज़िक्र किया तूने हमनशीं
इक तीर मेरे सीने में मारा के हाये हाये

Saturday, August 7, 2010

बज़्म-ए-ज़िन्दगी बकौल गालिब - 2

ये मसाइले-तसव्वुफ़, ये तेरा बयानग़ालिब
तुझे हम वली समझते जो न बाद:ख्वार होता
This mysticism in illustration, this speech of yours Oh Ghalib... You would be understood as an apotheosis, if only you were not a drunkard.

Tuesday, August 3, 2010

बज़्म-ए-ज़िन्दगी बकौल गालिब - 1

गिरिय: चाहे है खराबी मेरे काशाने की
दर-ओ-दीवार से टपके है बयाबाँ होना

meaning - The fate / destiny wants to destroy my abode as wilderness crawls on the walls and doors.