Tuesday, August 24, 2010

बज़्म-ए-ज़िन्दगी बकौल गालिब - 7

ये फ़ितना आदमी की खानावीरानी को क्या कम है
हुए तुम दोस्त जिसके उसका दुश्मन आस्माँ क्यूँ हो
Destiny need not be an enemy to your friends,
for the mischief of your friendship is enough to ruin home of the one.

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