Sunday, August 22, 2010

बज़्म-ए-ज़िन्दगी बकौल गालिब - 6

मौज-ए-सराब-ए-दश्त-ए-वफ़ा का न पूछ हाल
हर ज़र्रा मिस्ल-ए-जौहर-ए-तेग़ आबदार था

मौज-ए-सराब-ए-दश्त-ए-वफ़ा ---- वफा के मरुस्थल की मरीचिका
मिस्ल-ए-जौहर-ए-तेग़ ---- तलवार की धार की तरह
आबदारचमकदार"> ---- चमकदार

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