Saturday, September 18, 2010

2. बढ़ा के हाथ थाम लो मुझको

बढ़े हुए वो हाथ
बढ़ के रह गये आखिर
अंधेरा इतना
कि दिखे ही नहीं
बढ़े वो हाथ अपने हमें
और जानम
फिर कदम भी बढ़ ही गये।
कभी उस रास्ते आना
तो ज़रा चेक करना
हमारे हाथों की परछाई
वहाँ अब भी है!

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