Wednesday, September 22, 2010

6. ढूँढ लो मुझको

बड़ी है इतनी ये
पथरीली है
गहरी दुनिया
कोई निशान
अपने होने का
मिलता ही नहीं
तुम्हारे बस में हो
तो तुम ही ढूँढ लो
मुझको
अगर लगे
कोई सुराग मेरा
तो मुझे खबर करना
कि बहुत रोज़ हुए
साये से मिले अपने

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