एक साल बदलता है।
एक सूरज डूबता है। एक सूरज निकलता है।
वक्त आगे बढ़ जाता है, बस बदलता नहीं।
दुनिया समझती है कि तारीख बदलने से दिन भी बदल जायेंगे।
और वो, जो दिन और तारीख का भेद समझते हैं
और ये भी कि दिन और तारीख में कोई भेद नहीं,
वो दुनिया की नासमझी पर हँसते हैं
और दुनिया की नासमझी पर रोते हैं।
कालो न यात: वयमेव यात:
नेति नेति
...
!!!