Friday, February 21, 2014

वसन्त - 17

फिर सुबह होगी 
और फिर शाम होगी. 
फिर तुम्हारे साथ, 
तुम्हारी तस्वीरों के साथ, 
और तुम्हें भूल जाने की 
झूठी कोशिश के साथ
ज़िन्दगी गुज़र होगी...

तुम खुश रहना... 
ज़िन्दगी रही 
तो अगले वसन्त में 
फिर से मिलेंगे. 

Purple heart or Tradescantia pallida

Thursday, February 20, 2014

वसन्त - 16

गुलमुहर तुमने हमेशा देखा होगा -
 गहरे सुर्ख रंग में खिला हुआ!
लेकिन एक गुलमुहर ये भी है - 
सुर्ख नहीं, उड़ा-उड़ा सा, टूटा सा... 
खूबसूरत और पाकीज़ा ये कम नहीं, 
लेकिन पूछो खुद से तो पता चले शायद 
कि ये सुर्ख होने के अपने अंजाम तक
क्यूँ नहीं पहुंचा! 

Gulmohar

Wednesday, February 19, 2014

वसन्त - 15

कोई फूल खूबसूरत कब होता है? 
जब उसे बगीचे या गुलदान में सजा कर रखा जाए तब? 
क्या वो फूल खूबसूरत नहीं होता, 
जो जंगल में कहीं गुमनाम सा खिला हो?

तुम्हें प्यार करना क्या ज़रूरी है कि 
तुम्हारी अनुमति से ही किया जाए?
वो प्रेम क्या कम पवित्र होगा
 जो जीवन भर तुम्हें समर्पित रहे - 
बिना तुम्हारे प्रयास के, 
बिना तुम्हारे जाने, 
बिना तुम्हें पाने के प्रयास के!

Coccinia grandis, ivy gourd, Kundroo

Tuesday, February 18, 2014

वसन्त - 14

ये लाल रंग - ये न पूछो कि क्या याद दिलाता है.
ये पूछो कि ये लाल रंग क्या-क्या याद नहीं दिलाता. 
 Indian Coral Tree / Erythrina variegata

Monday, February 17, 2014

वसन्त - 13

ये पीले फूल - 
इनका नाम पता था... 
लेकिन सालों तक भूला रहा. 
फिर एक दिन
एकदम से याद आ गया.
ऐसी बहुत सी बातें हैं,
जो मैं भूला रहता हूँ 
और फिर,
वो याद आ जाती हैं... 
और फिर भूलती ही नहीं!

Yellow King Humbert Canna 

Sunday, February 16, 2014

वसन्त - 12

रजनीगंधा फूल तुम्हारे 
महके यूँ ही जीवन में...

 Tuberose


Saturday, February 15, 2014

वसन्त - 11

ये कागज़ के फूल हैं...
कल खिले थे जब तब भी सूखे थे
आज जब खुमार उतर गया,
तब भी सूखे हैं.
कागज़ के फूल 
ज़िन्दगी के फूल भी कहे जा सकते हैं!


Friday, February 14, 2014

वसन्त - 10

अद्भुत है ना - वो जगह ही ऎसी थी. 
या शायद वो साथ.
या शायद वो उम्र...
जो ऐसी तस्वीरें मिल जाती थीं. 
अब तो वैसा कहाँ कभी कुछ मिलता है. 

Orange Bignonia or Flaming Trumpet

Thursday, February 13, 2014

वसन्त - 9

इतने सारे पत्तों, दलदल, और परीक्षाओं के बीच भी कमल ऐसा निर्मल रहा 
कि दैवी उपासना में अपना स्थान बना पाया. 
कहाँ बच पाते हैं हम सब ऐसे कल्मष से! 
Lotus

Wednesday, February 12, 2014

वसन्त - 8

बबूल - छोटे से फूल, बड़े काँटे... 
फूल तात्पर्य-विहीन, और काँटे - 
उनसे तो तुमने खूब काम लिया होगा ना... 

Babool

Tuesday, February 11, 2014

वसन्त - 7

ये डहेलिया है - खूबसूरत, रंगीन, घुमावदार, 
और मोहपाश में बाँध लेने वाले - 
बिल्कुल तुम्हारी याद आ जाती है इनसे! 

Dahlia

Monday, February 10, 2014

वसन्त - 6

तुम्हे पता है - ये सफ़ेद पत्तियां नहीं फूल हैं. 
और ये सादामिजाज़ी आई भी तो गोआ से. 
अरमानों की ज़मीन से सब ख्वाब ही सादे निकले. 

Flamingo Flower

Sunday, February 9, 2014

वसन्त - 5

ये भारत के सुदूर प्रान्त - मिजोरम - से हैं. 
वहाँ से और भी पता नहीं क्या-क्या लाया था. 
देखना अब भी तुम्हारे पास शायद कुछ बचा हो. 
मेरे पास तो केवल यही फूल बचा है. 

Hanging Heliconia

Saturday, February 8, 2014

वसन्त - 4

ये अमलतास के झूमर हैं - कुछ ही दिनों में कम्पनी बाग़ इनसे भर जाएगा.
और अगर मैं वहाँ जा पाया तो अपने बचपन में एक डुबकी मार आऊँगा. 

Casia Fistula

Friday, February 7, 2014

वसन्त - 3

ये नयनतारा है. इसको बहुत बढ़ना - कढ़ना था... 
लेकिन अब ये केवल एक फूल का नाम हो कर रह गया है. 

Periwinkle

Thursday, February 6, 2014

वसन्त - 2

ये अनचाहे फूल हैं - विदेश से लाये गए... 
और परदेस में भी अवांछित. 
कितने रिश्ते फूलों जैसे होते हैं 
और 
कितने फूल रिश्तों जैसे, 
है ना. 
Lantana Camara 

Wednesday, February 5, 2014

वसन्त - 1

कल वसन्त का प्रथम दिवस था....
जानती हो ना कि वसन्त वो ऋतु है जिसमें प्रकृति स्वयं का श्रृंगार करती है - पुष्पों से.
सो मैं भी तुमको प्रतिदिन एक पुष्प अर्पित करूंगा.
अब यही थाती है जो तुमको अर्पित करूँ और तुम नकार न सको.
श्रद्धा-सुमन स्वीकार करना तो देवता की मजबूरी होती है ना.
- कवि और कविता 

Hibiscus rosa-sinensis