मेरे बे-रंग से फ़साने में,
ऐसी फिसली कि फिर नहीं देखा
ज़िन्दगी के सियाहखाने में
शेष अभी है मुझमें जीवन
दुनिया अब क्या
मुझे छलेगी
चार कदम उठ कर
मरने पर
मेरी लाश चलेगी।