Friday, March 4, 2011

आना

आना
जैसे बारिश के बाद
बबूल मे आ जाते हैं
नये-नये काँटे
दिनों को
चीरते-फाड़ते
और वादों की धज्जियाँ उड़ाते हुये
आना
आना
जैसे मंगल के बाद
चला आता है बुध

No comments: