Wednesday, August 31, 2011

Jaipur - 1 Road, 2 Scenes, 3 Years ago

 
  श्वानों को मिलता दूध-वस्त्र, भूखे बालक अकुलाते हैं
मां की हड्डी से चिपक, ठिठुर जाड़े की रात बिताते हैं
युवती के लज्जा-वसन बेच जब ब्याज चुकाये जाते हैं
मालिक जब तेल-फुलेलों पर पानी-सा द्रव्य बहाते हैं
पापी महलों का अहंकार तब देता मुझको आमंत्रण,
 

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