Wednesday, February 20, 2013

तीन मुखौटे, तीन कहानी - 3



आज से मेरी ज़ीस्त की मलका और ही होगी
और तेरी यादों की किस्मत गोर ही होगी
तीन बरस से दाग ये गहरे मिटा रहा हूँ
तेरा मुखौटा हर इक चेहरे लगा रहा हूँ

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