Sunday, October 19, 2014

Happy Birthday Majaaz

रास्ते में रुक के दम लूँ, ये मेरी आदत नहीं 
लौट कर वापस चला जाऊँ, मेरी फ़ितरत नहीं 
और कोई हमनवा मिल जाये, ये क़िस्मत नहीं 
ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ, ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ 
असरारुल हक़ "मजाज़" लखनवी
Also, Happy Birthday to me! 
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during the Poetry Talk 
at IIM Ahmedabad on Mar 5, 2014.