Friday, June 19, 2015

किधर जाऊँ

किधर जाऊँ समझ तुम बिन
मुझे आता नहीं जानां 
कि हर रस्ता मुझे तुम बिन
बड़ा बेकार लगता है 

1 comment:

कविता रावत said...

जब साथ हो किसी का तो वह आसां लगता है