Monday, July 11, 2016

शबनम की तरह शब का फ़साना हो जा...

रात वो आयी बारिश बनकर 
और मैं भीगा देर तलक 
सुबह को उसकी याद के निशाँ 
चूमूँगा मैं देर तलक 


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