अब ऐसा भी नहीं होगा 
जी भर के रो चुकी हो तुम 
या और भी अभी 
मेरी फुरक़त के 
अश्क़ बाकी हैं ?
उतरा है तैश या
कि रक़ीबों से 
रश्क़ बाकी हैं ?
जी भर के 
रो चुकी हो तुम 
तो सुन लो 
अब के मैं 
पास आने के ख्वाब 
छोड़ चुका,
दूर जाने के 
लिए निकला हूँ !
ज़िन्दगी से नहीं 
बनती मेरी 
मर्ग पाने के 
लिए निकला हूँ !
 
 
 
 
          
      
 
  
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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