Saturday, May 22, 2021

बाज़ी


 

खो गयीं हैं मोहरें कुछ 

वो राहें चल नहीं सकता 

तुम्हारे साथ जो सोची थीं 

जब ये बाज़ी पूरी थी !

फ़क़त अब सोचता रहता हूँ 

तुम बिन है बड़ी फीकी

ये बाज़ी अब 

हमेशा को अधूरी है। 

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