Saturday, December 31, 2022

रफ़्ता - रफ़्ता सब कुछ बदला

रफ़्ता - रफ़्ता ख़तम हुआ सब

ज़र्रा - ज़र्रा वो आशियाना जला 


Waise nazm to lambi thee thodi, lekin sab kuch na kahne ki aadat... khair! 


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