तुम्हें अपनी आँखों से दुनिया दिखाना
है आवारगी का यही इक बहाना
जिन्हें देख कर नीलगूँ आँखें चमकें
मेरा है जूनूँ वोही नज़्ज़ारे लाना
जिन्हें सुन के दाँतों में उंगली दबा लो
वही तो मुझे है फ़साने सुनाना
तुम उस दर, मैं दर दर, दबा दिल में इक डर
कहाँ मिलने दे है हमें ये ज़माना
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