विष्णुपद मंदिर, जहाँ भगवान् विष्णु ने गयासुर को पद-पराजित किया।
जहाँ लोग पिंड-दान हैं अपने पितरों की मुक्ति के लिए।
क्या ऐसा हो सकता है कि अतृप्त पितरों को मुक्ति देने की तरह ही अतृप्त प्रेम का भी श्राद्ध किया जा सके ?
अधूरे प्रेम से मुक्ति का संभवत: ये अंतिम उपाय बचा है।
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