Wednesday, February 14, 2024

सपना तुमको पाने का

मेरे स्वप्न में हम, 
हम यानी मैं और तुम, 
बैठे हैं इस झील किनारे 
और हाथों में हाथ तो है पर 
होठों पर कोई बात नहीं।  

मेरी सच्चाई में हम, 
हम यानी मैं निपट अकेला, 
उसी उदासी कमरे में 
बैठे हैं ऐसे जैसे बस 
अभी गयी हो तुम उठ कर 
और फिर से वापस आ जाओगी।  

और जब आओगी तुम तो हम 
तुमसे कुछ भी नहीं कहेंगे
बस हाथों में हाथ लिए हम 
उसी झील तक जायेंगे फिर 
बैठेंगे और फिर से सपना 
तुमको पाने का देखेंगे।


 

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