Say Cheese :)
Wednesday, March 19, 2025
बंगाल की मैं शाम-ओ-सहर देख रहा हूँ
देखा नहीं जाता है मगर देख रहा हूँ
रहमत का चमकने को है फिर नैयिर-ए-ताबां
होने को है इस शब की सहर देख रहा हूँ
Thursday, March 6, 2025
Figure the figs
तुम्हारे साथ देखा था जो मंज़र
अब नहीं दिखता,
तुम्हारे बिन है सब बंजर
रब नहीं दिखता !
Newer Posts
Older Posts
Home
Subscribe to:
Posts (Atom)