अर्जुन, उठ
गांडीव उठाओ !
रथ पर चढ़
प्रत्यंचा खींचो
अपना धर्म निभाओ
भ्रम का समय
सोच की वेला
बात-चीत
चिंतन की चर्चा
सबका काल है बीता
आगे है यह
समय कर्म का
ना दर्शन या
न्याय मर्म का
बढ़ आगे
इतिहास लिखो तुम
धर्म युद्ध को जीत
शत्रु को
अब इतिहास बनाओ
आत्म दया से ऊपर उठकर
क्षात्र भाव को याद करो फिर
रथ पर चढ़ प्रत्यंचा खींचो
क्षत्रिय धर्म निभाओ
उठो पार्थ
अब धर्म पुकारे
युद्ध की वेला में कर्मों से
बन सिद्धार्थ दिखाओ !
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