Sunday, September 19, 2010

3. एक तस्वीर चुरा ली हमने

युँही भटकते
उस आवारा रात में हमने
एक तस्वीर चुरा ली थी ना
किसी के अरमां
तितलियों से दिखते थे
कोई परछाई कुलांचे मारते
हिरन सी थी
वक्त के फ़र्श पर गिरा ऐसे
छनक के चूर हुआ
आखिर:श हर इक साया
हमारे पास मगर आज तक
सलामत है
एक तस्वीर जो
उस रात चुरा ली थी
वक्त से हमने!

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