Friday, August 15, 2014

जिंदाबाद! इन्क़लाब!

नफ़स नफ़स, कदम कदम 
बस एक फ़िक्र दम-बदम
घिरे हैं हम सवाल से हमें जबाब चाहिए !
जबाब दर सवाल है कि इन्क़लाब चाहिए !
इन्क़लाब ! जिंदाबाद ! 
जिंदाबाद ! इन्क़लाब !


जहाँ अवाम के खिलाफ साजिशें हो शान से 
जहाँ पे बेगुनाह हाथ धो रहे हो जान से
जहाँ पे लफ्ज-ए-अम्‍न एक खौफ़नाक राज़ हो
जहाँ कबूतरों का सर परस्त एक बाज़ हो
वहाँ ना चुप रहेंगे हम 
कहेंगे, हाँ कहेंगे हम
हमारा हक़, हमारा हक़ हमें जनाब! चाहिये !
घिरे हैं हम सवाल से हमें ज़बाब चाहिए !
ज़बाब दर सवाल है कि इन्क़लाब चाहिए !
इन्क़लाब ! जिंदाबाद ! 
जिंदाबाद ! इन्क़लाब !
शलभ श्रीराम सिंह

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