Wednesday, March 19, 2025

बंगाल की मैं शाम-ओ-सहर देख रहा हूँ

 देखा नहीं जाता है मगर देख रहा हूँ



रहमत का चमकने को है फिर नैयिर-ए-ताबां
होने को है इस शब की सहर देख रहा हूँ



Thursday, March 6, 2025

Figure the figs

तुम्हारे साथ देखा था जो मंज़र 
अब नहीं दिखता, 
तुम्हारे बिन है सब बंजर 
रब नहीं दिखता !


 

Wednesday, January 1, 2025

मेरी भी आभा है इसमें

नए गगन में 
नया सूर्य
जो चमक रहा है 
मेरी भी 
आभा है इसमें